जगमगा रहा प्रभात तारा जगमगा रहा
जिन्दगी के राही को है, डगर दिखा रहा
जगमगा रहा ————–

सौरभ सुभाग में सदा कल्याणकारी सर्वदा
जीवन् हो अंधेरे में तो होता है ये प्रकाश कर
भविष्य नौनिहाल का बनाया है, बना रहा
जगमगा रहा ————–

अज्ञानता का नाश कर बुद्धि का विकास कर
जीवन् हो अंधेरे में तो होत है ये प्रकश कर
सत्यमेव जयते -२ सत्यमेव जयते -२
यह हमें सिखा रहा , आदर्श है बना रहा
जगमगा रहा ————–

हम हैं देश के लिए और देश ये हमारा है
ऐसी पवित्र भावनाओं ने हमें संवारा है
मानव बने दानव नहीं, पाप में सने नहीं
धीर और सुधीर बनें, यह् हमें सिखा रहा
जगमगा रहा ————–

छुप जाता है प्रभात में प्रभात का तारा
सुरज के सामने भला कब ठहरे बेचारा
पर ये प्रभात का तारा सब का बडा ही प्यारा
युग-युग जीयेगा हो अमर, मन ये गा रहा
जगमगा रहा ————

:एस के त्रिवेदी